श्री राम झरोखा कैलाशधाम
1945 में हुई रामझरोखा कैलाश धाम की स्थापना, आज भी उद्देश्य के अनुरूप हो रहे सुकार्य गंगाशहर में सुजानदेसर स्थित बाबा रामदेव मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग से पूर्व रामझरोखा कैलाशधाम आस्था और तप का प्रतीक बना हुआ है। परम पूज्य परम हंस श्री सियारामजी गुरु महाराज ने 1945 में इस धाम की स्थापना की। 78 वर्ष पूर्व गौसेवा, धार्मिक आयोजन व तपोस्थली के रूप में इस धाम की स्थापना करना वर्तमान में भी सार्थक साबित हो रहा है।
आगामी आयोजन
नित्य हवन आध्यात्मिक और धार्मिक अनुष्ठान है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ देता है।
– नित्य हवन से व्यक्ति का शरीर, मन और आत्मा शुद्ध होता है।
– नित्य हवन से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
– नित्य हवन से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान और शांति प्राप्त होती है।
– प्रतिदिन हवन को करने के लिए किसी विशेष ज्ञान या कौशल की आवश्यकता नहीं होती है। कोई भी व्यक्ति नित्य हवन कर सकता है।
गौ सेवा
आश्रम सेवा
गौशाला निर्माण
कन्या विवाह
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जय सियाराम के उद्बोधन व हर पल जय सियाराम का सुमिरन करने वाले महामंडलेश्वर श्री सरजूदासजी महाराज ने गद्दी संभालने के बाद क्रांतिकारी उद्देश्यों के साथ सेवा कार्यों को आगे बढ़ाया। मात्र सेवा ही नहीं धर्म की रक्षा के लिए हर समय तत्पर रहने वाले श्री सरजूदासजी महाराज संत समाज में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं तथा हर माह सैकड़ों साधु-संतों के साथ संगत करते हैं। सरजूदासजी ने अपने गुरुजनों के बताए मार्ग पर चलकर कैलाश धाम को और भी भव्य स्वरूप प्रदान कर आस्था के इस केन्द्र को आगे बढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी। मात्र 10 वर्ष की आयु में वैरागी बनने वाले सरजूदासजी ने अपनी शिक्षा व अध्यात्म का ज्ञान मथुरा में ही प्राप्त किया।